बड़ौत (बागपत)। बड़ौत में धरना दे रहे किसानों से बुधवार दिन में वार्ता बेनतीजा रहने के बाद देर रात पुलिस धरनास्थल पर पहुंची और किसानों पर लाठियां फटकारी। इस दौरान कुछ किसान सो रहे थे तो कुछ रागिनी सुन रहे थे। पुलिस के पहुंचते ही धरनास्थल पर भगदड़ मच गई। पुलिस किसानों का सामान जबरन लादकर ले गई।

बुधवार को एडीएम अमित कुमार सिंह और एएसपी मनीष मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस-प्रशासन की टीम ने दिन में ढाई घंटे किसानों से बातचीत की थी। किसान आंदोलन की जिद पर अड़े रहे और 31 जनवरी को महापंचायत का एलान किया। इसके बाद रात करीब साढ़े 11 बजे सीओ बड़ौत आलोक कुमार के नेतृत्व में पुलिस मौके पर पहुंची और टैंट में आराम कर रहे किसानों को लाठियों से खदेड़ना शुरू कर दिया। एकाएक टैंट में घुसी पुलिस देखकर किसानों में भगदड़ मच गई।

सीओ बड़ौत का कहना है कि पुलिस लगातार धरने पर बैठे लोगों को समझा रही थी, लेकिन वह लोग नहीं माने, जिस कारण उन्हें धरने से हटाया गया है। पुलिस-प्रशासन का कहना था कि धरना समाप्त कर दें। किसानों का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन ने यह भी दबाव बनाया कि दिल्ली में यहां के किसानों ने भी हंगामा किया है, जिन्हें चिह्नित किया जा रहा है।

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प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि किसानों से मशवरा किया जाएगा। आंदोलन किसी एक का नहीं है, इसलिए जब तक सभी किसान सहमत नहीं होंगे, वह यहां से धरना नहीं उठा सकते। दिल्ली में हुए हंगामे में बागपत का कोई किसान नहीं था। असामाजिक तत्वों ने वहां पर माहौल बिगाड़ा है, पुलिस उन्हें पकड़े, किसानों को झूठा बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इसके बाद किसान धरनास्थल पर पहुंचे। धरने पर पहुंचकर अधिकारियों के साथ हुई वार्ता का हाल किसानों को बताया गया।

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Source: Amar Ujala