90 के दशक में महंत अवैद्यनाथ हिंदू महासभा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी ने राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के लिए महंत अवैद्यनाथ को प्रमुख चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किया. हिंदू महासभा को छोड़ बीजेपी के साथ जुड़ने के बाद वो साल 1991 में संसद पहुंचे. महंत मंदिर आंदोलन के सिलसिले में देश के कई इलाकों के दौरे किया करते थे. इसी क्रम में वो उत्तराखंड भी गए. यहां उनकी यात्रा में उनके भतीजे अजय बिष्ट ने खूब बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. तेज तर्रार और गंभीर रहने वाले अजय में अवैद्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी दिखता था और शायद उत्तर प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री भी. तभी वो अजय बिष्ट को योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath Birthday) बना अपने साथ गोरखपुर ले आए थे.

महंत अवैद्यनाथ, योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद बिष्ट के ममेरे भाई थे. अवैद्यनाथ के साथ गोरखपुर पहुंच कर अजय बिष्ट ने संन्यास ले लिया और योगी बन गए. हालांकि योगी बनने के बाद भी उनके परिवार को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. परिवार को इस बात का पता लगा छह महीने बाद. बेटे के योगी बन जाने की जानकारी पाते ही पिता आनंद विष्ट गोरखपुर पहुंच गए. यहां वो महंत अवैद्यनाथ से मिले, बेटे का हाल-चाल लिया और वापस लौट आए.

संन्यास के बाद महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को कई बार कहां कि वो अपने माता-पिता को चिट्ठी लिखें और संन्यास के बारे में सूचना दें. लेकिन योगी ने ऐसा नहीं किया. योगी चिट्ठी तो लिखते, मगर कभी पोस्ट नहीं करते. हालांकि संन्यासी बनने के बाद योगी आदित्यनाथ को एक बार उनके घर जाना जरूरी था. संन्यास में एक जरूरी प्रक्रिया होती है. इसके अनुसार संन्यासी को अपने माता पिता से पहली भिक्षा मांगनी पड़ती है. साल 1998 में ये प्रक्रिया पूरी करने के लिए योगी आदित्यनाथ घर लौटे. इस समय तक वो सांसद भी चुन लिए गए थे. लेकिन वो अकेले घर नहीं गए. उनके साथ गुरु महंत अवैद्यनाथ भी मौजूद थे.

मां ने योगी को भिक्षा में क्या दिया?
अब कोई भी माता-पिता अगर बेटे को संसार त्याग कर संन्यासी बनते देखे और वो भी उनसे भिक्षा मांगे तो गला भर ही आएगा. योगी ने मां से भिक्षा मांगी, तो मां ने भिक्षा में फल, चावल और रुपए दिए. इसी के साथ उनका कलेजा भर आया और वो रो पड़ी. मां को रोता देख योगी भी रो पड़े. एक मैगजीन से बात करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ की बहन ने ये बात बताई थी.