बचपन मे अगर किसी बच्चे के सर से पिता साया छीन जाये तो उसे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पिता के गुजर जाने के बाद बच्चों की जिम्मेदारी माँ के सर पर आ जाती है और ऐसे मुश्किल वक्त में माँ किसी तरह अपने बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी व्यस्था करने में लगी रहती है और बच्चों के शिक्षा पर शायद ही ध्यान दे पाती है। लेकिन झारखंड के पालनी की कहानी कुछ अलग है उसकी माँ ने हिम्मत नही हारी और पालनी ने भी अपनी माँ के सपनों को साकार करने की भरपूर कोशिश कर रही है।

ABP न्यूज़ के पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी ने अपने ट्विटर एकाउंट से पालनी के सपनों को पंख देने के लिए एक पोस्ट किया है और उन्होंने मदद के लिए लोगो से हाथ आगे बढ़ाने की अपील की है। ज्ञानी जी ने अपने ट्वीट में लिखा “पालनी कुमारी कक्षा 7वीं में पढ़ती हैं
वो जब डेढ़ साल की थीं तो पापा का निधन हो गया। पालनी को नर्स बनना है क्योंकि उसे लगता है नर्स ही लोगों की सेवा करती हैं। पढ़ाई कर सके इसलिए सड़क किनारे चना बेचती है और मम्मी बस में। 6th में 75% से पास हुईं है पालनी। जगह-झारखंड , सिमडेगा। मदद कीजिए”

ज्ञानेंद्र तिवारी के इस पोस्ट को देखकर भारत के सबसे बड़े उधोगपति में से एक अडानी ग्रुप के गौतम अडानी ने मदद करने की पेशकश की है और इस बच्ची के शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने की बात कही है। उन्होंने ज्ञानेंद्र के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा “छोटी सी बच्ची और इतने बड़े विचार..!
पालनी की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। अगर आपमें से किसी के पास उसके परिवार की कांटैक्ट डिटेल हो तो मुझे देने की कृपा करें।
यही बेटियाँ नए और सशक्त भारत की उम्मीद हैं, इन्हें बेहतर कल मिले ये हम सबकी जिम्मेदारी है।”

गौतम अडानी के इस पेशकश के बाद ज्ञानेंद्र ने उनके साथ पालनी के डिटेल साझा किए है “।पालनी के पास मोबाइल नहीं है, वो जहां चना बेचती हैं वहीं एक पेंटर का नंबर है जो 9431562721, 6200634183 है।

इसके बाद गौतम अडानी ने अपने ग्रुप के अडानी फाउंडेशन को टैग करके लिखा, “टीम कृपया इसका सज्ञान ले और इन्हें मदद करे।”

अडानी की मदद की पेशकश के बाद एक यूजर ने लिखा-

https://twitter.com/deep_mani1/status/1365017252223799298?s=19

बहुत बहुत धन्यवाद अडानी जी, और कुछ तथाकथित लोगों को देश के उद्योगपतियों से घृणा होती है, चुनाव के समय चंदा लेंगे परंतु उन्हें ही कोसते रहेंगे और तो और उनके द्बारा किए जा रहे देशहित के कार्यो में इनकी कोई रुचि नहीं है…
यही कारण है कि देश ऐसे नेताओ का बहिष्कार करने लगा है…