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ट्रेन की जिन बोगियों को फूंका जा रहा है, उन्हें बनाने में कितना खर्चा आता है?

देश में अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) को लेकर विरोध प्रदर्शन (Protest) रुकने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में युवक सड़कों पर उतर कर विरोध जता रहे हैं. यूपी और बिहार में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान ट्रेनों को निशाना बनाया जा रहा है. कई जगह ट्रेन की बोगियों में प्रदर्शनकारियों ने तोड़-फोड़ के साथ-साथ आग भी लगाई. मतलब सरकारी सम्पत्ति को जमकर नुकसान पहुंचाया गया है. आइए जानते हैं कि भारतीय रेलवे की जिन बोगियों में आग लगाई गई, उन्हें बनाने में कितना पैसा खर्च होता है.

ट्रेन के डिब्बे को बनाने में कितना खर्चा आता है?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक एसी कोच की लागत 2.8 से 3 करोड़ रुपये के बीच होती है. स्लीपर कोच बनाने में करीब 1.25 करोड़ रुपये की लागत आती है. वहीं, जनरल कोच बनाने में करीब एक करोड़ रुपये लगते हैं. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 100 लोगों की कैपिसिटी वाले जनरल सैकेंड क्लास कोच को बनाने में 2.24 करोड़ रुपये लगते हैं.

एक ट्रेन में सबसे ज्यादा खर्चा उसके इंजन को बनाने में आता है. NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक डुअल मोड लोकोमोटिव इंजन की कीमत करीब 18 करोड़ रुपये होती है, जबकि 4500 हॉर्सपावर के डीजल लोकोमोटिव इंजन को बनाने में करीब 13 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.

अग्निपथ योजना से युवा नाराज क्यों?
केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना की घोषणा 14 जून को की थी. इसके तहत सेना में 4 साल के लिए भर्ती की जाएगी. चार साल के बाद सिर्फ 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थाई नियुक्ति मिलेगी. योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल की उम्र वाले युवा अप्लाई कर सकते हैं. दो दिन से जारी प्रदर्शन के बाद सरकार ने गुरुवार 16 जून को भर्ती होने की अधिकतम उम्र दो साल बढ़ा दी थी. हालांकि, यह सीमा सिर्फ एक बार के लिए यानी 2022 की भर्ती के लिए बढ़ाई गई है.

प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि इस योजना में स्थाई नौकरी नहीं है. चार साल बाद 75 फीसदी लोगों की सर्विस खत्म हो जाएगी. दूसरा ये है कि पुरानी भर्ती योजना के तहत सैनिकों को जो पेंशन और स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मिलती थी, वो अब इन 75 फीसदी लोगों पर लागू नहीं होगी. इधर सरकार ने एक फैक्ट शीट जारी कर इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की है.