दिल्ली में इजरायली दूतावास के पास हुए बम धमाके को लेकर भारतीय एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है. जानकारी के मुताबिक, धमाके के पास एक लिफाफा भी मिला है, जिसमें इजरायली उच्चायुक्त का नाम लिखा हुआ था. साथ में इस धमाके को ट्रेलर बता कर धमकी भी दी गई थी.

भारत के साथ अब इजरायल भी इस धमाके की घटना को लेकर सक्रिय हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इजरायली जांच एजेंसी मोसाद (Mossad) इस ब्लॉस्ट की जांच करने वाली है. मोसाद का नाम आते ही लोगों के बीच अपने आप एक किस्म की उत्सुकता पैदा हो जाती है. क्योंकि मोसाद को दुनिया की सबसे खतरनाक जांच एजेंसी माना जाता है. खतरनाक कहने के पीछे कोई हवा-हवाई बातें नहीं है, बल्कि वे घटनाएं, जिसके जरिए उसने पूरी दुनिया में अपनी ऐसी इमेज बनाई है.

मोसाद एक ऐसी एजेंसी है, जो दूसरे देशो में भी अपने दुश्मनों का सफाया कर देती है. इसके लिए यह खूफिया एजेंसी कई बार दूसरे देशों के कानूनों की परवाह किए बगैर अपने मिशन को अंजाम देती है. दिसंबर, 1949 को बनी इस एजेंसी ने कभी फोन, तो कभी सूई, तो कभी सुपर स्पीड वाले हवाई जहाजों से दुश्मन को धूल धूसरित किया है. आइए जानते हैं, कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में…

खोज-खोज कर लिया हमले का बदला
साल 1972 में म्यूनिख में ओलंपिक का आयोजन हुआ. Palestine Liberation Organization नाम की आतंकवादी संगठन ने खेल के महाकुंभ को खूनी खेल से रंग दिया. उन्होंने होटल में घुस कर 11 खिलाड़ियों को मौत के घाट उतार दिया गया. इजरायल में इसको लेकर गजब गुस्सा का देखा गया. इसके बाद मोसाद ने बदले के लिए पूरी तैयारी की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 11 लोगों की हिट लिस्ट बनाई गई. मोसाद ने उन्हें मौत के घाट उतारने के लिए, वो सब कुछ किया, जो किया जा सकता था. बताया जाता है कि मोसाद के एजेंट मिडिल ईस्ट के कई देशों की सुरक्षा एजेंसियों में घुस गए. धमक ऐसी कि टारगेट को मारने से पहले उस फैमिली को बुके भेजा गया, जिसके साथ संदेश लिख गया कि हम ना तो भूलते हैं, ना ही माफ करते हैं.

अर्जेंटीना में घुसकर इस शख्स को उठा लाया
ये बात मई 1960 की है, जब मोसाद के एजेंट अर्जेंटीना में घुसे और नाजी युद्ध अपराधी एडोल्फ एकमैन को पकड़ कर इजरायल उठा लाए थे. खास बात ये है कि इसकी भनक तक अर्जेंटीना सरकार को नहीं लग पाई थी, बाद में एडोल्फ को सजा दी गई.

युगांडा से छुड़ा लाए अपने नागरिक
फ्रांस से एक हवाई जहाज इजरायली यात्रियों को लेकर उड़ा. लेकिन उसे आतंकियों ने अपने कब्जे में ले लिया. जहाज को आतंकी अफ्रीकी देश युगांडा के एयरपोर्ट पर लेकर गए. इसके बाद मोसाद के एजेंटों ने सारे आतंकियों को मार गिराया और 54 यात्रियों को वापस ले आए. इस कार्यवाही को अंजाम देने के लिए मोसाद ने कई सारे प्रोटोकॉल तोड़ दिए थे. जिसको लेकर कई देश नाराज भी हो गए थे.

हमास के आंतकी को दुबई में किया ढेर
महमूद अल मबूह नाम का व्यक्ति दुबई में छुपकर रहता था. उस पर आरोप थे कि वह आतंकी संगठन हमास के लिए हथियारों की खरीद- फरोख्त करता था.  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसको ढेर करने के लिए मोसाद ने 33 एजेंट्स का स्क्वॉड बनाया. जिसे सीजेरिया नाम दिया गया था. एजेंट्स ने दुबई में घुसकर उस आतंकी को मौत के घाट उतार दिया. खास, बात है कि उसे ऐसे मारा गया कि दुबई पुलिस को मौत को समझने में बहुत समय लग गया. वे काफी समय तक ये समझते रहे कि महमूद अल मबूह की मौत हॉर्ट अटैक से हुई. जब तब तक दुबई पुलिस पूरा मामला समझ पाती, मोसाद के एजेंट तब तक सुरक्षित दुबई से निकल चुके थे.

ट्यूनीशिया में घुस कर किया फिलिस्तीनी आतंकी का सफाया
बताया जाता है कि फिलिस्तीनी आतंकी खलील अल वजीर (अबू जिहाद) ट्यूनीशिया में छुपकर बैठा था. मोसाद ने उसे निपटाने के लिए 30 एजेंट्स को काम पर लगाया. वह टूरिस्ट बनकर पहले ट्यूनीशिया पहुंचे. इसके बाद आर्मी की ड्रेस में अबू जिहाद के घर में घुस गए. और अंत में उसे गोलियों से भून दिया.