भारत और नेपाल को सदियों से मिली-जुली संस्कृति एक करती रही है। दोनों देशों के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता इतना गहरा कि कभी लगा ही नहीं कि दो देश हैं। भारत और नेपाल के रिश्तों को तोड़ने के लिए चीन ने चाल चली, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से दोस्ती की, दोस्ती इतनी गहरी हो गई की नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली चीन के आदेशनुसार भारत विरोधी कदम उठाने लिए, मतलब चीन अपनी चाल में कामयाब रहा.

दरअसल जिस चीन को नेपाल अपना सदाबहार दोस्त समझने की भूल कर बैठा उसी चीन ने दोस्ती करके पीछे से पीठ में छुरा घोंप दिया, जी हाँ! नेपाल की लगभग 2 किलोमीटर जमीन पर चीन ने कब्जा कर लिया है, नेपाल चाहकर भी अब अपनी जमीन खाली नहीं करवा सकता।

जानकारी के अनुसार, चीन ने नेपाल के हुमला जिले में दो किलोमीटर घुसकर अवैध कब्जा कर लिया। चीन ने नेपाल की जमीन पर न सिर्फ अपना स्थायी निर्माण कर लिया बल्कि चीनी सैनिकों ने नेपाल का पिलर नंबर-11 भी उखाड़ फेंका।

चीन ने नेपाल के हुमला जिले के नाम्खा गांव पालिका के छह नंबर वार्ड लिमी के लाप्चा गांव में दो किमी अंदर घुस कर एक साथ नौ मकान बना लिए हैं। इस जिले पर 10 साल से चीन घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा था अब जाकर कामयाब हुआ.

नाम्खा गांव पालिका के अध्यक्ष विष्णु बहादुर लामा का कहना है कि बिना नेपाली सरकार की अनुमति से चीन गाँव में घर बना रहा है, और आपत्ति जाहिर करने पर नेपाली नागरिकों को डपटकर भगाते हैं उन्होनें कहा कि इसकी सूचना स्थानीय प्रसाशन के साथ-साथ नेपाल सरकार को भी दे दी गई है. आपको बता दें कि चीन ने नेपाल में गोरखा के रुई गाँव पर भी कब्जा किया है, इस गांव में तकरीबन 72 घर आते हैं जो अब चीन के नियंत्रण में हैं.

विपक्ष सवाल पूछ रहा है कि इतने दिनों से नेपाल सरकार ने इस पर बयान क्यों नहीं दिया? नेपाल में स्थित चीन के दूतावास ने भी इस पर चुप्पी साधी हुई है। नेपाल में ये इमारतें क्यों बनाई गई हैं, इसका कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। सीडीओ गिरी भी जब वहाँ पहुँचे, तो उन्हें चीन के कब्जे वाली जमीन पर नहीं जाने दिया गया और न ही उन्हें तस्वीरें लेने की अनुमति दी गई। नेपाली टीम ने जल्दी-जल्दी में दूर से ही तस्वीरें ली और सिमिकोट लौट आए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वो कई वर्षों से उस तरफ जाने से डरते हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने नेपाली जाँच टीम को बताया कि चीन के लोग अवैध रूप से कब्जाई हुई जमीन के आसपास किसी स्थानीय व्यक्ति को फटकने तक नहीं देते। इसीलिए, स्थानीय लोग अब उधर जाने की कोशिश भी नहीं करते हैं। चीन और नेपाल के विदेश मंत्रालय की चुप्पी पर वहाँ असंतोष है। कई नेपाली अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं।