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दशहरे पर वंशजों ने की रावण की पूजा, लोगों से की पुतला न फूंकने की अपील

आज देशभर में दशहरे का पर्व मनाया जा रहा है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. शाम के वक्त अलग-अलग पूजा पंडालों में रावण दहन किया जाएगा जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. लेकिन इस बीच देश में कई जगहों पर रावण पूजन भी किया गया और उसकी आरती भी उतारी गई. यही नहीं कई जगहों पर तो रावण का मंदिर भी स्थित है जहां उसकी पूजा की जाती है.

दशहरे पर रावण की पूजा
एक ओर पूरे देश में रावण दहन की तैयारी हो चुकी है इसके विपरीत मथुरा में ज्योतिष और आयुर्वेद के प्रकांड विद्वान लंका नरेश रावण के अनुयायियों की ओर से रावण की विधि विधान से पूजा की गई. यहां हर दशहरे पर मंत्रोच्चारण के साथ लंकापति रावण की पूजा की जाती है और आरती उतारी जाती है. पूरे देश में आज रावण दहन की तैयारी की जा रही है वहीं मथुरा में सारस्वत समाज के लोगों ने रावण का पूजन किया.

रावण की पूजा करने वाले अनुयायियों ने कहा है कि रावण एक प्रकांड विद्वान था और उन्होंने सीता माता का हरण तो किया लेकिन अपनी वाटिका में उन्हें रखा. साथ ही श्रीराम से युद्ध में अपने परिवार के लोगों की मृत्यु के बाद भी सीता के साथ कोई भी अनैतिक कार्य नहीं किया. इन लोगों का मानना है कि रावण का पुतला हर साल जलाया जाता है जबकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आदमी का अंतिम संस्कार एक बार ही किया जाता है.

रावण दहन को बताया गलत
रावण के वंशजों का मानना है कि दशहरे पर हर साल रावण का पुतला जलाकर इसे बुराई पर अच्छाई की विजय बताया जाता है, यह बिल्कुल गलत है और हम रावण के अनुयायी इसकी घोर निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी से अपील करते हैं कि रावण का पुतला हर साल न जलाया जाए, बाकी भगवान राम की लीला का मंचन हर साल कराया जाए, जिससे समाज में रहने वाले लोगों को मर्यादा का ज्ञान होता रहे