ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आए दिनों आ रही वेब सीरीज के जरिये हिन्दू धर्म और देवी देवताओं का मजाक उड़ाया जा रहा है। हाल ही में प्रसारित की जा रही वेब सीरीज “तांडव” में भी इसी प्रकार से एक पात्र को महादेव बना कर उनके मुंह से अश्लील शब्दों का उच्चारण करवाया गया है। सोशल मीडिया और जमीनी स्तर पर तांडव का विरोध शुरू हो गया है। इस वेब सीरीज में देवी-देवताओं के अपमान के साथ में दलित समाज का भी अपमान करने की बाते सामने आ रही है।

वैसे, यह पहली बार नहीं है कि ओटीटी यानी ओवर द टॉप प्लेटफ़ॉर्म या फ़िल्मों पर हिंदू देवी-देवताओं को निशाना बनाया गया हो। इससे पहले हाल ही में नवंबर महीने में ‘ए सूटेबल ब्वॉय’ नाम की फ़िल्म में भी हिन्दुयों की भावनाओं से खेलवाड़ किया गया था। इस मामले में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स के ख़िलाफ़ मध्य प्रदेश के रिवा ज़िले में एफ़आईआर दर्ज कराई गई थी। इसमे एक दृश्य था जिसमें एक लड़का और लड़की को मंदिर में किस करते दिखाया गया था।

तांडव वेबसिरिज के बायकॉट और अभिव्यक्ति की आजादी पर मचे घमासान के बीच पत्रकार आशुतोष ने अपने न्यूज़ पोर्टल सत्य हिंदी पर एक लंबी चौड़ी आर्टिकल लिखी है और अभिव्यक्ति के नाम पर ऐसे कंटेंट को जायज ठहराने की पुरजोर कोशिश की है। उन्हज इस आर्टिकल का शिर्षक रखा है “खबरें’तांडव’ से भावनाएँ आहत हुईं? सरकार से अमेज़ॉन प्राइम को समन”

आशुतोष ने इस आर्टिकल को अपने ट्विटर एकाउंट से साझा करते हुए लिखा “जिस गति से लोगों की भावनायें आहत हो रही हैं, उसको देखते हुये बहुत जल्दी ही देश में रचनात्मक काम होने बंद हो जायेंगे । फ़िल्मे और लेखन सरकारों को खुश करने के लिये बनेंगी ।”

रोहित सरदाना ने आशुतोष के इस पोस्ट और लेखनी पर सटीक जबाब दिया। रोहित ने लिखा “भावनाएँ तो आप जानते ही हैं सबसे कोमल चीज़ होती हैं. कभी भी आहत हो जाती हैं. किसी की एक कैफ़े के नाम से आहत होती हैं तो बुद्धिजीवी लोग सिर्फ़ च्च च्च कर के निकल लेते हैं और किसी की आस्था पे चोट पड़ने में भी अभिव्यक्ति और रचनात्मकता का झंडा आ जाता है!”

बलजीत भाटिया नाम के यूजर ने आशुतोष से पूछा, “हिन्दू देवी देवताओं का अपमान अगर आशुतोष को रचनात्मक लग रहा है तो आशुतोष थोड़ी कोशिश करने की अपील दूसरे धर्म की ओर भी करे। जब सिर्फ कार्टून बनाने पर गला kat दिया जाता है। तब ये मुफ्त का ज्ञान वह क्यो नही बाटते। आशुतोष कुछ शर्म तो आनी चाहिए आपको”