देहरादून, विशेष संवाददाता। राज्य सरकार उत्तराखंड में धीरे-धीरे राजस्व पुलिस की व्यवस्था को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसी क्रम में राजस्व पुलिस क्षेत्र के 1800गांवों को रेगुलर पुलिस के हवाले कर दिया है।
गतवर्ष सितंबर में यमकेश्वर ब्लाक के राजस्व क्षेत्र में स्थित गंगाभोगपुर के वनंतरा रिजोर्ट में काम करने वाले अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज हत्याकांड के बाद उत्तराखंड में पटवारी व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पर्यटन क्षेत्रों के आसपास के गांवों को पुलिस के अधीन करने के निर्देश दिए थे। ऐसे क्षेत्रों को चरणबद्ध तरीके से पुलिस के अधीन करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सोमवार को गृह विभाग ने राज्य के 52 थाने और 19 रिपोर्टिंग चौकियों का सीमा विस्तार कर दिया है। इसके अंतर्गत 1800 गांवों को पुलिस के अधीन कर दिया है।
साठ फीसदी क्षेत्र है राजस्व पुलिस के पास उत्तराखंड में ब्रिटिश काल से राजस्व पुलिस की व्यवस्था चली आ रही है। देश में एक मात्र उत्तराखंड ऐसा प्रदेश है जहां दोहरी पुलिस व्यवस्था है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी इस पर प्रश्न चिन्ह लगा चुका है।
दरअसल, पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले काफी सालों से जघन्य व सनसनीखेज वारदातें हुई हैं। इसके बाद इन क्षेत्रों में भी ग्रामीण नियमित पुलिस की मांग शुरू करने लगे थे। उत्तराखंड में अब भी 60 फीसदी हिस्सा राजस्व पुलिस के अधीन है।
छह नए थाने भी जल्द खुलेंगे कैबिनेट बैठक में राजस्व क्षेत्रों में छह थाने व 20 रिपोर्टिंग चौकियां खोलने पर फैसला हो चुका है। राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यह शपथ पत्र दिया जा चुका है। अभी इन थानों के अधीन गांवों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। 1444 गांव इस दायरे में आए रहे हैं।
दूसरे चरण में इन गांवों के भी नियमित पुलिस के अधीन आने से राज्य में पटवारियों के पास बहुत कम गांव रह जाएंगे।