देहरादून: ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से हिमालय के ऊपरी इलाकों में कई झीलें बन गई हैं, जिनका आकार साल दर साल बढ़ता जा रहा है। अगर भविष्य में ये झीलें टूटीं तो हिमालय के किसी भी क्षेत्र में केदारनाथ जैसी आपदा आ सकती है। इनमें चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में रायकाना ग्लेशियर की वसुधारा झील भी शामिल है, जिसका आकार खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है।
उत्तराखंड आपदा विभाग ने पिछले दिनों अति संवेदनशील वसुधारा ताल के निरीक्षण के लिए वाडिया और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों की टीम भेजी थी। टीम ने लौटकर झील की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसरो और एडीसी फाउंडेशन की उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (UDAAI) रिपोर्ट के अनुसार ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे हिमालयी क्षेत्र में मौजूद हिम झीलों का तेजी से आकार बढ़ रहा है। उत्तराखंड में करीब 1400 छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं, इनमें करीब 1266 झीलें 500 वर्गमीटर आकार से बड़ी हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने इसरो के सेटेलाइट डाटा के आधार पर 13 ग्लेशियर झीलों को चिह्नित किया है, जिनमें 5 बेहद संवेदनशील हैं, इनमें वसुधारा झील भी है। इस झील का सर्वे हाल ही में विशेषज्ञों की टीम ने किया है।
तुंगनाथ मंदिर पर भी प्रभाव
देहरादून एडीसी फाउंडेशन की उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (UDAAI) की अक्टूबर माह की रिपोर्ट में ग्लेशियरों से जुड़ी विभिन्न घटनाओं को शामिल किया गया है। इसमें पिंडारी ग्लेशियर के पिछले 60 वर्षों में आधा किलोमीटर से अधिक पीछे खिसकने, पानी के रिसाव से तुंगनाथ मंदिर के ढहने और बदरीनाथ हाईवे के निर्माणाधीन हेलंग-मारवाड़ी बाईपास पर 12 अक्टूबर को हुए भूस्खलन की खबरें शामिल हैं।
वाडिया की सेटेलाइट डाटा रिपोर्ट
वाडिया संस्थान सेटेलाइट डेटाबेस के आधार पर वसुधारा ताल समेत अन्य ग्लेशियर लेक का भी अध्ययन किया जा रहा है। 4702 मीटर ऊंचाई पर स्थित वसुधारा ताल का आकार वर्ष 1968 में 0.14 वर्ग किलोमीटर था, जो साल 2021 में बढ़कर करीब 0.59 वर्ग किलोमीटर हो गया है। इसी तरह झील में जमा पानी भी लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 1968 में वसुधारा ताल में करीब 21,10,000 क्यूब मीटर पानी था, जो वर्ष 2021 में बढ़कर करीब 1,62,00,000 क्यूबिक मीटर हो गया है। यानी इन 53 वर्षों में वसुधारा ग्लेशियर लेक में मौजूद पानी की मात्रा में करीब 767.77 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखंड आपदा विभाग की ये रिपोर्ट डराने वाली है, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) राज्य सरकारों से ग्लेशियर झीलों की निगरानी पर जोर देता है। राज्य में टीम भी गठित की गई हैं, लेकिन अभी तक केवल वसुधारा ताल का ही स्थलीय निरीक्षण किया गया है।