नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि कोरोना महासंकट से निपटने में भारत ने नेपाल की उतनी मदद नहीं की जितनी एक पड़ोसी देश के नाते उसे करनी चाहिए थी। ओली ने कहा कि हो सकता है कि कोर्ट के फैसले या वैक्सीन की कमी की वजह से या भारत में महामारी के प्रसार की वजह से हमारा पड़ोसी देश संभवत: उतनी मदद नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना रोकथाम तब निरर्थक है जब तक कि नेपाल में यह नियंत्रित नहीं होता है।
केपी शर्मा ओली ने बीबीसी से बातचीत में कहा, ‘भारत का नेपाल की मदद स्वयं उसके हित में है। हम अगर बॉर्डर को सील भी कर दें तो भी लोगों को आने जाने से रोका नहीं जा सकता है। नेपाल और भारत संबंध दूसरे देशों से अलग है। हमारी सीमाएं मिली हुई हैं। लोगों का एक घर नेपाल में तो दूसरा घर भारत में है। हमारे मित्रतापूर्ण संबंध को देखते भारत नेपाल की पूरी मदद करे। भारत हमें ऑक्सीजन और दवाएं दे रहा है। भारत ने हमें सबसे पहले कोरोना वैक्सीन मुहैया कराया। हम भारत को धन्यवाद देते हैं।’
नेपाली पीएम ने भारत और चीन की मदद की तुलना करने पर कहा कि भारत के साथ चीन भी हमें वैक्सीन दे रहा है और हमें इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। दोनों देश हमें मदद कर रहे हैं। हम दोनों को धन्यवाद देते हैं। भारत के साथ संबंधों पर ओली ने कहा कि पड़ोसी देश हैं, इसलिए समस्या होती रहती है। एक समय में समस्या थी लेकिन अभी नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां पड़ोस होता है, वहां कभी प्रेम तो कभी समस्या होती रहती है। हमें भविष्य को देखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। हमें सकारात्मक चीजों को आगे बढ़ाना है।
बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कहर से जूझ रहे नेपाल की मदद के लिए संकट की इस घड़ी में एकबार फिर से दोस्त भारत आगे आया है। चीन की मदद के बाद भी नेपाल की ऑक्सिजन की सारी जरूरत भारत की ओर से पूरी की जा रही है। भारत की ओर से 15 टन क्षमता वाले लिक्विड ऑक्सिजन के दो टैंकर लगातार नेपाल को सप्लाइ पहुंचा रहे हैं। जल्द ही भारत और तीन और टैंकर इसमें जोड़ने जा रहा है।
नेपाल की लिक्विड ऑक्सिजन की 100 फीसदी जरूरत भारत की ओर से पूरी की जा रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के विदेशी मामलों के सलाहकार राजन भट्टाराई ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा, ‘नेपाल को भारत से लिक्विड ऑक्सिजन मिल रहा है और भारत एकमात्र देश है जो हमें यह दे रहा है। ऑक्सिजन की डिमांड नेपाल में काफी बढ़ गई है और नेपाल सरकार इस डिमांड को पूरा करने के लिए अपना सपूर्ण प्रयास कर रही है।’
Source: Navbharat Times