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Paris Olympics: कल एक्शन में होंगे भारत के ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा, क्वालिफिकेशन में ही छाप छोड़ना चाहेंगे

भारत के लिए अगले कुछ दिनों में कुछ और पदक आ सकते हैं। इस बार स्वर्ण की सबसे ज्यादा उम्मीद जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से है। नीरज मंगलवार से एक्शन में होंगे। उन्हें मंगलवार को क्वालिफिकेशन मैच खेलना है। इसके बाद अगर वह क्वालिफाई करते हैं तो आठ अगस्त को अपना फाइनल खेलेंगे। भारतीय एथलेटिक्स के लिए कई कीर्तिमान रच चुके नीरज अपने दूसरे ओलंपिक में एक बार फिर अपने भाले से इतिहास रचना चाहेंगे चूंकि 140 करोड़ भारतीयों को उनसे एक बार फिर स्वर्ण की उम्मीद है।

इसके साथ ही नीरज के अप्रतिम निरंतरता की एक बार फिर परीक्षा होगी क्योंकि पूरे सत्र में वह जांघ के भीतरी हिस्से की मांसपेशी में (एडक्टर) परेशानी से जूझते रहे हैं। चोपड़ा अगर स्वर्ण जीतते हैं तो ओलंपिक के इतिहास में खिताब बरकरार रखने वाले पांचवें खिलाड़ी हो जाएंगे । इसके साथ ही ओलंपिक व्यक्तिगत वर्ग में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी बनेंगे।

ओलंपिक की पुरूष भालाफेंक स्पर्धा में अभी तक एरिक लेमिंग ( स्वीडन 1908 और 1912), जोन्नी माइरा ( फिनलैंड 1920 और 1924), चोपड़ा के आदर्श जान जेलेंजी ( चेक गणराज्य 1992 और 1996 ) और आंद्रियास टी ( नॉर्वे 2004 और 2008 ) की ओलंपिक में भालाफेंक स्पर्धा में खिताब बरकरार रख सके हैं।

इस साल चोपड़ा ने सिर्फ तीन स्पर्धाओ में भाग लिया, लेकिन उनके बाकी प्रतिस्पर्धी भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए है। दोहा डायमंड लीग में मई में चोपड़ा ने 88.36 मीटर का थ्रो फेंका था। वहीं, एडक्टर में असहजता के कारण 28 मई को ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक में एहतियात के तौर पर भाग नहीं लिया। उन्होंने जून में फिनलैंड में पावो नुरमी खेलों में 85.97 मीटर का थ्रो फेंककर स्वर्ण के साथ वापसी की। इसके बाद सात जुलाई को पेरिस डायमंड लीग में भाग नहीं लिया।

उनके कोच ने फिटनेस को लेकर चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि अब उनके एडक्टर में कोई परेशानी नहीं है और वह कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता चेक गणराज्य के याकूब वालेश, जर्मनी के जूलियन वेबर और पूर्व विश्व चैम्पियन ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स उन्हें फिर चुनौती देंगे। भारत के किशोर जेना भी दौड़ में हैं जिन्होंने पिछले साल एशियाई खेलों में 87.54 मीटर का थ्रो फेंककर क्वालिफाई किया था लेकिन उसके बाद से 80 मीटर तक भी नहीं पहुंच पाए हैं।