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Uttarakhand: प्रदेश की साधारण महिलाओं ने असाधारण कर दिखाया… तो मिला स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुस्कार

उत्तराखंड की साधारण महिलाओं के असाधारण कार्यों के चलते उन्हें राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली वर्ष 2023-24 के पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। मूल रूप से पौड़ी और वर्तमान में देहरादून निवासी डॉ. माधुरी बड़थ्वाल ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों में पुरुषों के एकाधिकार को चुनौती दी और महिलाओं को ढोल वादन सिखाया। वहीं, बागेश्वर की नेहा देवली बालिकाओं को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखा रहीं हैं।

संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में पुरस्कार लेने पहुंची पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल बताती हैं कि हमारी पहचान हमारी लोक संस्कृति है। इसके संरक्षण के लिए गृहणियों को मुफ्त में गायन और वाद्य यंत्र सिखा रहीं हैं। पूर्व में पारंपरिक वाद्य यंत्रों में पुरुषों का एकाधिकार था, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती देते हुए महिलाओं को ढोल वादन सिखाया।

पावर लिफ्टिंग के क्षेत्र में कमाया नाम
हरिद्वार की संगीता राणा के मुताबिक वर्ष 2016 में उन्होंने खुद का वजन कम करने के लिए जिम जाना शुरू किया। जिम करने के दौरान उन्हें लगा क्यों न पावर लिफ्टिंग के क्षेत्र में कुछ किया जाए। परिजनों का भी सहयोग मिला।

वर्ष 2018 से पावर लिफ्टिंग करना शुरू किया। नई दिल्ली में वर्ष 2023 में इंडियन पावर लिफ्टिंग एलाइंस में और इसी साल गढ़वाल पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में एक-एक स्वर्ण पदक जीता। इससे पहले भी विभिन्न प्रतियोगिताओं में देश-विदेश में कई पदक जीत चुकी हैं।

विनिता ने की पहाड़ की महिलाओं के सामने नजीर पेश 
रुद्रप्रयाग की विनिता देवी ने तो सास बहू के रिश्ते को लेकर पहाड़ की महिलाओं के सामने नजीर पेश की है। घास के लिए जंगल जाने के दौरान अपनी सास को गुलदार से बचाने के लिए उसने अपनी जान की परवाह नहीं की और गुलदार से भिड़ गई। गुलदार के हमले से वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इस अदम्य साहस के लिए उसे तीलू रौतेली पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।

चमोली जिले की नर्वदा देवी रावत हस्तशिल्प के क्षेत्र में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं। वह बताती हैं कि पिछले 20 साल से शॉल, पंखी आदि बना रही हैं। देश और दुनिया से बदरीनाथ आने वाले तीर्थ यात्री जिसे खूब पसंद करते हैं। पिथौरागढ़ की 72 वर्षीय शकुंतला दताल क्षेत्र में पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य आदि सुविधाओं को लेकर संघर्षरत है। उन्होंने भारत-चीन सीमा पर सीमांत गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए काम किया।

राज्य की साधारण महिलाओं ने जो असाधारण काम किया है उसने उन्हें बेहद खास बना दिया है। इन महिलाओं ने लीक से हटकर कुछ करने की सोची और अपने उस लक्ष्य को पूरा किया। -रेखा आर्या, कैबिनेट मंत्री महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास