हल्द्वानी: उत्तराखंड की बेटियां आज के समय में हर क्षेत्र में आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। राज्य की बेटियां अपनी कड़ी मेहनत और अपनी कला के दम राज्य का मान बढ़ा रही हैं। इन्हीं में से एक नन्हीं स्वस्तिका जोशी भी हैं, जो मात्र 11 साल की उम्र में देश-विदेश के मंचों पर अपनी भरतनाट्यम और वायलिन वादन की कला को प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह रही हैं।
Bharatanatyam and Violin artist Swastika Joshi
पहाड़ की बेटी स्वस्तिका ने बनारस के नमो एवं अस्सी घाट पर अपनी शानदार भरतनाट्यम की प्रस्तुती से सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। स्वस्तिका ने वहां पर पूरे 45 मिनट तक भरतनाट्यम किया। आयोजन में आए लोग स्वस्तिका के नन्हें पैरों को थिरकते हुए देखकर मान ही नहीं पा रहे थे कि ये मात्र 11 साल की बच्ची हैं। स्वस्तिका को उनकी इस विशेष कला के लिए उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ‘उत्तराखंड बाल गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया है। स्वस्तिका को मुख्यमंत्री ने भी भरतनाट्यम और वायलिन वादन के लिए पुरस्कृत किया है।
6 साल की उम्र से सीख रही हैं भरतनाट्यम
स्वस्तिका जोशी जनपद नैनिताल के हल्द्वानी की मूल निवासी हैं, उनका जन्म 7 दिसंबर 2013 को उत्तराखंड हुआ था। स्वस्तिका वर्तमान में हल्द्वानी के सेंट थेरेसा स्कूल में 6वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। स्वस्तिका जोशी ने मात्र 6 साल की उम्र से ही गुरु शुभम खोवाल से भरतनाट्यम की शिक्षा लेना शुरू कर दी थी। उसके बाद 7 वर्ष की आयु में स्वस्तिका ने शिक्षा पंडित हरीश चंद्र पंत से वायलिन बजाने की शिक्षा लेनी भी शुरू की।
स्तिका बताती हैं तमिलनाडु में उनकी दीदी की वर्क शॉप थी तब वे दीदी के साथ वहां गई थी। उस दौरान स्वस्तिका ने तमिलनाडु के तंजावुर स्थित बृहदीश्वर मंदिर में भरतनाट्यम नृत्य को देखा था, तब से उन्हें भी भरतनाट्यम में रूचि आ गई थी। स्वस्तिका की मां और बहन भी कथक नृत्य करती हैं। वहीं उनके दादा और पापा लेखक हैं। स्वस्तिका जोशी कहती हैं मुझे भरतनाट्यम और वायलिन बजाना बहुत पसंद है। मैं आगे भी अच्छे-अच्छे गुरुओं से इस कला को सीखना चाहती हूं।
स्वस्तिका को मध्य प्रदेश में भरतनाट्यम और वायलिन वादन में उनकी शानदार प्रस्तुती के लिए ‘शशि कला प्रवीण सम्मान 2024’ से नवाजा गया था। इसके अलावा, अखिल भारतीय संगीत नृत्य प्रतियोगिता शिमला, बाल कला उत्सव दिल्ली, अखिल भारतीय शास्त्रीय संगीत नृत्य प्रतियोगिता आगरा और क्लासिकल वॉइस ऑफ इंडिया 2023 लखनऊ में भी अपनी प्रस्तुतियां दी हैं। स्वस्तिका की इन विशेष कलाओं के लिए उन्हें कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है।