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उत्तराखंड: 100 करोड़ से ज्यादा की संपति, प्रेमचंद अग्रवाल की सिफारिश.. बॉबी पंवार के गंभीर आरोप

देहरादून: नव गठित उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ भ्रष्ट अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए और ED से जांच करने की मांग भी की. इस अवसर पर उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के प्रवक्ता सुरेश सिंह, विशाल चौहान, सुनील सिंह आदि भी उपस्थित थे।

अध्यक्ष बॉबी पंवार ने बताया कि 2005 में स्वजल परियोजना में सहायक अभियंता के पद पर नियुक्त हुए सुजीत कुमार विकास ने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार से जुड़े कई कार्य किए हैं। सुजीत कुमार ने अपनी पत्नी के नाम पर फर्म स्थापित की और कुछ दस्तावेजों में स्वयं को भी व्यवसायी के रूप में दर्शाया है। इसके अलावा, एक ठेकेदार ने सुजीत कुमार पर शपथ पत्र के माध्यम से 10 लाख रुपए कमीशन लेकर काम देने के गंभीर आरोप भी लगाए हैं।

100 करोड़ रुपये से अधिक की संपति
बॉबी पंवार ने बताया कि सुजीत कुमार विकास ने भ्रष्टाचार से अर्जित किए गए धन से देहरादून में कृषि, गैर-कृषि भूमि और अन्य संपत्तियाँ खरीदी हैं, इन सम्पतियों की कुल कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। सुजीत कुमार के खिलाफ पूर्व में भी आरोपों की जांच की गई थी, जिसमें आरोप सही पाए गए थे। लेकिन इसके बावजूद, प्रदेश सरकार ने उनको पदोन्नति दी है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय से जांच की मांग करते हुए एक पत्र भेजा गया है। बॉबी पंवार का कहना है कि अभी इस अधिकारी की और जिलों में भी संपति होने की आशंका है.

प्रेमचंद अग्रवाल की सिफारिश पर नौकरी
बॉबी पंवार ने बताया कि शहरी विकास निदेशालय में नियमविरुद्ध 1 लाख 75 हजार रूपये के मासिक वेतन पर लखनऊ निवासी अभिषेक सिंह को नौकरी पर रखा गया है. बॉबी का आरोप है कि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की सिफारिश पर अभिषेक सिंह को उत्तराखंड में नौकरी मिली है. बॉबी पंवार ने बताया कि उन्हें विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी मिली कि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अनुशंसा पर विभागीय सचिव नीतीश झा ने निदेशक नीतिका खंडेलवाल से आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए नियमों के खिलाफ एक बाहरी व्यक्ति को नौकरी दी है।

सूचना आयोग में 15 दिनों से कार्य ठप
बॉबी पंवार ने मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के आवास का घेराव करने और न्यायालय का सहारा लेने की बात की। इसके अलावा, उन्होंने सूचना आयोग में पिछले 15 दिनों से कार्य ठप रहने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि वहां केवल एक आयुक्त ही उपस्थित हैं, जिसके कारण प्रदेश के 1500 मामले लंबित हैं।