देहरादून: राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने संसद में आशा कार्यकर्ताओं के वेतन बढ़ोत्तरी का मुद्दा उठाया. बजट पेश होने के बाद अब संसद में बजट पर चर्चा हो रही है. चर्चा के दौरान उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने आशा कार्यकर्ताओं के वेतन बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया. स्पीकर ने जैसे ही महेंद्र भट्ट को बोलने के लिए कहा उन्होंने इस बारे में विस्तार पूर्वक बात करके सरकार को इस मुद्दे पर अपना ध्यान आकर्षित करने की अपील भी की.
राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने बजट सत्र के दौरान लोकसभा में शून्यकाल चर्चा में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संचालन से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय की और सदन का ध्यान आकृष्ट किया. राज्य सभा सांसद महेंद्र भट्ट ने केंद्र सरकार से आशा बहनों को न्यूनतम वेतन अधिनियम की परिधि में लाने की मांग की. उन्होंने कहा, एनएचएम द्वारा ग्रामीण एवं शहरी आबादी के स्वास्थ्य तथा सामाजिक निर्धारकों के बारे में जो जागरूकता अभियान चलाया जाता है. उसमें बच्चा जच्चा को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने समेत अनेकों प्रक्रियाओं में आशा कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, इनके महत्वपूर्ण कार्यों को देखते हुए आज भी इन्हें न्यूनतम वेतनमान से वंचित रखा गया है. इन्हें मात्र 4500 रुपए मासिक प्रोत्साहन राशि ही दी जाती है, जो इनके कार्य को देखते हुए काफी कम है. अनेकों राज्य सरकारें ने इन्हें वार्षिक प्रोत्साहन राशि देती है, उसमें भी केवल उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां इन्हें 5000 रुपए वार्षिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है. महेंद्र भट्ट ने सदन के माध्यम से सरकार से मांग की कि स्वास्थ्य क्षेत्र में इनके योगदान को सम्मान दिया जाए. इन्हें न्यूनतम वेतन अधिनियम की परधी में सम्मिलित किया जाए. जिसमें राज्य सरकार का अंश भी सम्मिलित हो.
बता दें मौजूदा समय में सिर्फ उत्तराखंड में ही लगभग 11086 आशा कार्यकर्ता सेवाएं दे रही हैं. जिन्हें 4500 रुपये दिये जाते हैं. लम्बे समय से आशा कार्यकर्ताओं की मासिक आय बढ़ाने को लेकर सरकारों से बातचीत की जा रही है. इस संबध में अब राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने आवाज उठाई है.