दिल्ली सरकार ने राजधानी में सर्दियों के मौसम में बढ़ते प्रदूषण पर काबू करने के उपायों के तहत इस बार भी इस बार भी दिवाली पर हर तरह के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। दिल्ली में हर साल दीपावली के दौरान प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार को ट्वीट कर बताया कि पिछले 3 साल से दिवाली के समय दिल्ली के प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पिछले साल की तरह इस बार भी हर प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जिससे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके।
दूसरे ट्वीट में केजरीवाल ने कहा कि पिछले साल व्यापारियों द्वारा पटाखों के भंडारण के पश्चात प्रदूषण की गंभीरता को देखत हुए देर से पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ था। सभी व्यापारियों से अपील है कि इस बार पूर्ण प्रतिबंध को देखते हुए किसी भी तरह के पटाखों का भंडारण न करें।
मुख्यमंत्री केजरीवाल के इस घोषणा पर दिल्ली BJP नेता कपिल मिश्रा ने आड़े हाथों लिया और कहा, “कब तक अपने निकम्मेपन का ठीकरा हिंदुओं के त्यौहारों पर फोड़ते रहोगे केजरीवाल! पटाखे पूरी दुनिया में चलते हैं , हर बड़े समारोह और त्यौहारों पर चलते है लेकिन दिल्ली में दीवाली में इन पर बैन लगाया जाता हैं! ये अपराध सरकारों का हैं, त्यौहारों का नहीं!”
वही यूजर्स ने भी केजरीवाल सरकार पर हिंदू त्योहारों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, “पटाखे ही बंद क्यों कर रहे हो ?? लक्ष्मी जी की पूजा करने पर भी प्रतिबंध लगा लो हिंदू विरोधी केजरीवाल !! आपके जैसे घटिया लोग हिंदू में पैदा कैसे हो गए यही मुझे आप पर शक है !! दिल्ली में प्रदूषण का कारण केवल दीपावली नहीं है ! अपनी मानसिकता सुधारो हिंदू विरोधी मत बनो”
एक अन्य यूजर ने लिखा, Expected. प्रदूषण दीवाली पर ही होता है, बाकी दिनों में तो दिल्ली में बहार रहती है? खैर दिल्ली आपके साथ यही होना था, बस आपने अहम में माना नहीं, और अभी भी अहम त्यागा नहीं। किसान पराली जला सकते हैं, गाड़ियां धुआं फैला सकती हैं, यमुना नाला बन सकती है। लेकिन हिन्दू पर्व की अनुमति नहीं”
अभिषेक शर्मा ने लिखा, मैं पर्यावरण प्रदूषण के पक्ष में नहीं हूँ लेकिन मूझे ये बताएं कि क्या पर्यावरण संरक्षण की सारी जिम्मेदारी हिन्दू समाज की ही है?
आपकी यह पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता ईद पर होने वाले असँख्य जीवों की हत्या के समय और 31 दिसम्बर को होने वाले प्रदूषण के समय कहाँ गायब हो जाती है?”