जयपुर की राजमाता गायत्री देवी ने राजनीति में आने का फैसला किया था। गायत्री देवी के राजनीति में आने के फैसले ने सबको चौंका दिया था। गायत्री देवी को इससे पहले राजनीति में कोई अनुभव नहीं था। अपने पहले ही चुनाव में उन्होंने कुल 2 लाख 50 हजार 272 में से 1 लाख 92 हजार 909 मतों से जीत हासिल की थी। उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया था क्योंकि अब तक किसी भी उम्मीदवार को इतने मतों से जीत हासिल नहीं हुई थी।
अपने पहले चुनाव को याद करते हुए गायत्री देवी ने ‘सिमी गरेवाल’ से बात करते हुए बताया था, ‘राजा जी ने स्वतंत्र पार्टी की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य देश की दशा और दिशा सुधारना था। मैंने चुनाव लड़ने से पहले अपने पति से पूछा कि क्या मैं स्वतंत्र पार्टी जॉइन कर सकती हूं। उन्होंने कहा था कि क्यों नहीं? मैंने पूछा कैसे? उन्होंने कहा कि तुम्हें सिर्फ एक फॉर्म भरना होगा और 8 आने इसकी फीस होगी। राजा जी एक दिन जयपुर आए और उन्होंने मुझे पब्लिक मीटिंग में शामिल होने के लिए कहा। ये पहली बार था जब मैं पब्लिक मीटिंग जॉइन कर रही थी।’
विपक्ष में रहना क्यों मुश्किल था: गायत्री देवी आगे बताती हैं, ‘मुझे एक दिन पत्र मिला और उसमें लिखा था कि 1962 के लोकसभा चुनाव में वो मुझे अपना उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। मैं ये सुनकर चौंक गई और एक बार फिर अपने पति के पास गई। मुझे बिल्कुल भी विश्वास ही नहीं था कि कोई मुझे चुनेगा। मेरे पति ने कहा कि तुम्हें जरूर चुनाव लड़ना चाहिए। उस समय विपक्ष में रहना भी बहुत मुश्किल होता था क्योंकि विपक्ष को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती थी।’
बकौल गायत्री देवी, ‘मैं जब चुनाव प्रचार के लिए बाहर निकली तो नजारा देखकर हैरान थी। क्योंकि पहली बार मैं अपने क्षेत्र को देख रही थी। इससे पहले मैं आमतौर पर बाहर नहीं जाती थी। मेरे संसदीय क्षेत्र के लोग धीरे-धीरे मुझसे घुलने-मिलने लग गए। जब चुनाव के नतीजे आए और मैं हैरान रह गई। क्योंकि उस समय ये सबसे ज्यादा अंतर से मिलने वाली जीत थी। मेरे सेक्रेटरी ने कहा कि हमें जुलूस निकालना होगा।
जयपुर में उमड़ आया था हुजूम: गायत्री देवी बताती हैं, ‘मैं एक बार फिर भागती हुई अपने पति के पास पहुंची उन्होंने कहा कि क्यों नहीं। जयपुर में हर कोई आया। सड़कों पर लोगों को हुजूम उमड़ आया। ये मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव था। लोग खुशी के कारण झूम रहे थे।’