किसान आंदोलन को कवर करने में पत्रकारों ने भी अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। कुछ पत्रकारों पर सरकारी काम मे बाधा पहुचाने के आरोप भी लगे है। दिल्ली पुलिस ने ऐसे ही एक स्वतंत्र पत्रकार मंदीप पूनिया को कुछ दिनों पहले सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया था। उनपर सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने, जान-बूझकर व्यवधान डालने और गैर-कानूनी हस्तक्षेप करने के आरोप लगे थे। गिरफ्तारी के पश्चात मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। हालांकि 25 हजार रुपये का निजी मुचलका भरने के बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पूनिया की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और फिर उनके जेल जाने की घटना से खूब विवाद भी हुआ था। इसी बीच आज 9 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार राजदीप सरदेसाई, शशि थरूर समेत 5 अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। राजदीप सरदेसाई, शशि थरूर और अन्य 5 लोगों पर आरोप है कि इन्होंने ट्रैक्टर रैली के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत के बारे में असत्यापित खबर साझा की थी।
इन्हीं सभी घटनाक्रमों के संदर्भ में पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने एक ट्वीट कर कहा कि किसानों को अब उन पत्रकारों के समर्थन में आवाज़ उठाने की जरूरत है जो सरकार के निशाने पर हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘वक्त आ गया है..सरकार के निशाने पर आए पत्रकारों के लिए किसान खड़े हों।’ पुण्य प्रसून बाजपेयी के इस ट्वीट पर लोगों ने जमकर निशाना साधा।
भरत पांडेय नाम के एक यूजर ने लिखा, “कभी तुम किसानों के साथ खड़े हो कभी किसान तुम्हारे साथ कभी तुम CAA वालो के साथ, कभी वो तुम्हारे साथ, कभी तुम आतंकवादियों के साथ,
कभी वो तुम्हारे साथ, कभी तुम कांग्रेसियों के साथ, कभी वो तुम्हारे साथ, एक आधी बार सच के साथ खड़े हो जाओ। पत्रकार बन जाओगे। अब दलाल लगते हो।”
कंगनावत नाम के एक यूजर ने लिखा, “मतलब तुम जैसे वेरोजगार पत्रकारों को नई नौकरी दिलाने में किसान तुम्हारी मदद करें, आंदोलन करें, यही कहना चाहते हो ना??”
विनय श्रीवास्तव ने लिखा, “अभी इतने भी अच्छे दिन नहीं आए हैं कुछ उन कथित पत्रकारों के कि सरकार निशाना साधे। कुछ भांड, जो खुद को पत्रकार समझ बैठे थे, वो जरूर निशाने पर हैं लेकिन सोशल मीडिया के। सरकार ने तो सबको इतनी छूट दी है कि गाली दो, फेक न्यूज़ दो, भारत विरोधी देशों के गुण गाओ, सब माफ़ है।”
राजकुमार मिश्रा ने लिखा, “सर आप भी बहुत कोशिश किये आपका योगदान याद रखा जाएगा लेकिन आप भी मोदी को रोक नहीं पाए इंटरनेशनल स्तर का जोर लगवा के भी , यहां तक कि छोटे मियां से लेकर बड़े मियां तक सबसे जोर लगवा लिया , क्या करें सर बड़ा दुख है कि फिर आएगा मोदी ही.”