हाथरस गैंगरेप और मौत के मामले में पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे है। खबर है कि पुलिस किसी भी नेता और मीडिया के लोगों को गांव में प्रवेश नही करने दे रही है। गांव में सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों को आने जाने की इजाजत है। दरअसल मीडिया ने मामले को रिपोर्टिंग के नाम पर इतना संवेदनशील बना दिया है कि बिपक्ष और तथाकथित दलित आर्मी/सेना कभी भी क्षेत्र का माहौल बिगाड़ सकते है।
गौरतलब हो सारे मीडिया और न्यूज चैनल में होड़ मची हुई है नम्बर 1 बनने की। सुशांत सिंह के केस में ऐसा देखने को भी मिला कि एक न्यूज चैनल दिन-रात उस केस की रिपोर्टिंग की और TRP में नम्बर वन बन गया। अब हर खबर को मीडिया सनसनी की तरह पेश करने की होड़ में लगी हुई है और हाथरस केस भी इससे परे नही रहा।
पत्रकारों के ट्वीट देखकर बस यहीं कहा जा सकता है कि इनमें कंपीटिशन हो रहा है कि सरकारी तंत्र और अधिकारियों को कौन कितना नीचा दिखा सकता है। अब भारत समाचार न्यूज़ चैनल की रिपोर्टर प्रज्ञा मिश्रा का ये ट्वीट देखिये। प्रज्ञा ने लिखा, “
शर्म करो SDM प्रेम प्रकाश मीणा ख़ुद दलित होकर एक दलित बेटी के साथ अन्याय गिरोह के सरगना बन गए हो..पत्रकारों से अभद्रता करा रहे हो..चुल्लू भर पानी में डूब के मर जाओ..”
प्रज्ञा मिश्रा के इस ट्वीट पर कई यूज़र्स ने आपत्ति जताते हुये उन्हें जबाब दीये। एक यूजर ने लिखा, “
तुम लोगों को भी देखा आज कैसे बंदरों की तरह उत्पात मचा रहे थे, सब रिपब्लिक चैनल के रास्ते पर चल पड़े हो। क्योंकि तुम लोगों को लगता है कि यही एक तरीका है TRP पाने का।
जब मीडिया की जरूरत थी, जब मुद्दे उठाने थे तब चीन पाकिस्तान उत्तरी कोरिया सुशांत रिया ड्रग्स बॉलीवुड में व्यस्त थे।”
एक यूजर ने लिखा, “
मीडिया को रोकना गलत निर्णय था लेकिन आप लोग भी इतने धूर्त और खून के प्यासे है कि अंदर जाके व्यापार ही करते ।
और वो SDM है मैडम , सड़क छाप पत्रकार नहीं , आपकी जिंदगी निकल जाती परीक्षा की तैयारी करने में , और आप जैसे 10 पत्रकार हर चाय की दुकान में बैठे मिलते है।”
अब जरा उनके न्यूज चैनल भारत समाचार के इस वीडियो को देखिये और इनके हेडलाइंस पर जरा गौर फरमाइए आप समझ जाएंगे कि आखिर चल क्या रहा है। भारत समाचार के ट्विटर एकाउंट से ये वीडियो पोस्ट किया गया है और उन्होंने लिखा है:-
- भारत समाचार की पत्रकार से पुलिस की अभद्रता
- भारत समाचार की पत्रकार को पुलिस ने रोका
- प्रज्ञा मिश्रा को पुलिसवालों ने गांव जाने से रोका
- पुलिस के पास पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं
- गुड़िया के गांव नहीं जाने दे रही पुलिस