अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के तीन दिन बाद भी अंतिम नतीजे सामने नहीं आ सके हैं। हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन जीत के आंकड़े के काफी करीब हैं और उनकी जीत पक्की मानी जा रही है। बाइडन ने अपने प्रतिद्वंद्वी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को काफी पीछे छोड़ दिया है। बाइडन को अब तक 264 इलेक्टोरल वोट हासिल हो चुका है, वहीं रिपब्लिकन उम्मीदवार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खाते में 214 वोट हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर चुनाव परिणाम आने में विलंब क्यों हो रहा है।
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में इलेक्टोरल वोटों की गिनती के लिए राज्यों के अपने अलग-अलग विधान हैं। प्रत्येक राज्यों में मतगणना के लिए अलग-अलग तीथियां निर्धारित है। कोरोना महामारी के कारण इस बार अमेरिका में मेल इन वोटिंग के जरिए रिकॉर्ड मतदान हुआ है। लगभग दस करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस माध्यम से मतदान किया है। जिन राज्यों में मेल इन वोटिंग ज्यादा हुई है, वहां मतगणना के कार्य में देरी हो रही है।
गौरतलब हो कि कुछ बुद्धिजीवी अमेरिका और भारत में होने वाले चुनावी प्रक्रिया को एक दूसरे से कंपेयर करने में अपना दिमाग लगा रहे है। और अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्ष और सरल बात रहे है। इसी तरह की एक बुद्धिजीवी निधि राजदान भी है। निधि NDTV की पूर्व पत्रकार राह चुकी है और वर्तमान में सहायक प्रोफेसर के पद पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी कार्यरत है।
निधि राजदान का मानना है कि अमेरिकी चुनाव प्रकिया निष्पक्ष है जहाँ एक-एक वोट की गिनती होती है इस वजह से चुनाव नतीजे आने में समय लगता है। ये लिखने के पीछे उनका मकसद भारतीय चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया पर निशाना साधना मात्र था।
निधि राजदान के इस बेतुके ट्वीट का जवाब भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैसी ने बखूबी दिया। उन्हज निधि को जबाब देते हुये लिखा “भारत मे भी एक-एक वोट की गिनती होती है। आपको याद होगा सीपी जोसी सिर्फ एक वोट की वजह से राजस्थान के मुख्यमंत्री नही बन पाए थे। निधि आप अमेरिका में सिर्फ कुछ महीनों से है।”
जबकि सच्चाई यह है कि अमेरिका भी अब भारत के चुनाव प्रक्रिया के तर्ज पर ही EVM से चुनाव कराने की तरीके पर विचार कर रहा है।