कोरोना के सेकेंड वेब में सरकार की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल इलाके नंदुरबार के एक आईएएस अफसर की तैयारियों की खूब तारीफ हो रही है. उन्होंने पिछले साल 20 बेड्स के बलबूते कोविड से लड़ाई लड़ी थी. लेकिन, इसके बाद उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी.

जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भरुड की कोशिशों से अब वहां 1289 बेड्स अस्पतालों में, 1117 बेड्स कोविड केयर सेंटर में और ग्रामीण अस्पतालों में 5620 बेड्स हैं और मजबूती से कोविड से लड़ रहे हैं. इतना ही नहीं पीएचसी, स्कूल, सोसायटी और मंदिरों तक में बेड्य मुहैया कराए गए हैं. 7 हजार से ज्यादा आइसोलेशन बेड्स और 1300 आईसीयू बेड्स भी उपलब्ध हैं.

नंदुरबार में आज अपना ऑक्सीजन बन रहा है. राज्य के हेल्थ मिनिस्टर से लेकर केंद्रीय मंत्री पीय़ूष गोयल तक ने उनके काम की तारीफ की है.उन्होंने पूरे राज्य में इस मॉडल को अपनाने की घोषणा की है.

डॉ. राजेंद्र साल 2013 बैच के आईएएस अफसर हैं. वह मुंबई के केईएम अस्पताल से एमबीबीएस कर चुके हैं. उन्हें कोरोना के सेंकेड वेब को लेकर आहट लग गई थी. ऐसे में उन्होंने दिसंबर से ही तैयारी शुरू कर दी थी.

जिले में पिछले साल 190 कोविड रोज मिलते थे. अब 1200 तक पहुंच गए हैं. वहां अब टेस्टिंग भी होती है. उन्होंने जिला विकास निधि से वहां 3 ऑक्सीजन प्लांट लगवा दिए. वहां 3 हजार लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन तैयार हो रही है. पिछले 3 महीने में 27 एंबुलेंस खरीदी गई है.

बता दें कि राजेंद्र खुद भी एक आदिवासी परिवार में जन्मे हैं. उनके जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था. वह कहते हैं, हम इतने गरीब थे कि हमारे पास पिता की एक तस्वीर तक नहीं थी. मैंने देखा भी नहीं है कि वह कैसे दिखते थे. उनकी मां ने ही उन्हें पाला और पढ़ाया.

Source: India Times