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उत्तराखंड: मिसाल बने ये 2 शहर, कूड़े से बना रहे बिजली.. कारगर हो रहे “वेस्ट टू एनर्जी” प्लांट

रुद्रपुर: बढ़ती आबादी के बीच कूड़े के ढेर भी बढ़ रहे हैं, वर्तमान समय में कूड़े की निकासी बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है। उत्तराखंड के दो नगर निकायों ने कूड़े से खाद्य उत्पादन और बिजली उत्पादन शुरू कर इस समस्या से निजात पाने का एक हल तलाशा है।

“Waste to Energy” Plants becoming effective in 2 Cities

उत्तराखंड के दो नगर निगम रुद्रपुर और मसूरी ने “वेस्ट टू एनर्जी पॉलिसी” के तहत कूड़े के ढेर से बिजली उत्पादन शुरू किया है। रुद्रपुर नगर निगम ने इस पॉलिसी के तहत किए कार्य में वर्षों पुराने लगे कूड़े के ढेर का भी निस्तारण किया है।

मसूरी में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट

मसूरी नगर पालिका ने मई 2024 से ही वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से उत्पादन कार्य शुरू किया था। पीपीपी मोड के इस प्लांट की प्रतिदिन आठ टन कूड़ा निस्तारण करने की क्षमता है। इस कूड़े से नगर पालिका बायो गैस पैदा करती है, साथ ही इससे जैविक खाद पदार्थों का भी उत्पादन किया जा रहा है। इस नई कूड़ा निस्तारण नीति से उत्तराखंड के मसूरी जैसे पयर्टक स्थल पर कूड़े की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण संभव हो पाया है।

रुद्रपुर में कूड़े से बन रही हर दिन 6 kw बिजली

रुद्रपुर नगर निगम में 40 वार्ड हैं और यहां से रोजाना 105-118 टन कूड़ा निकलता है। अभी तक यहां बड़ी मात्रा में कूड़ा लैंडफिल साइट पर लंबे समय तक बिना उपचार के पड़ा रहता था। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए नगर निगम ने नवंबर 2022 में पीपीपी मॉडल के तहत कूड़ा भस्मीकरण संयंत्र का निर्माण कार्य शुरू किया है। बिजली के अलावा जैविक खाद का उत्पादन भी शुरू किया गया है। इस संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन 50 टन कूड़ा संसाधित करने की है, लेकिन अब यह संयंत्र प्रतिदिन 30 टन कूड़ा संसाधित कर सकता है। यहां प्रतिदिन 6 किलोवाट बिजली के अलावा कल्याणी नाम से जैविक खाद का भी उत्पादन किया जाता है।