दिल्ली हाई कोर्ट ने 50 लोगों को निजामुद्दीन मरकज मस्जिद की पहली मंजिल पर पांच वक्त की नमाज अदा करने की अनुमति दे दी है। लेकिन कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना होगा। दिल्ली HC ने कहा कि 10 अप्रैल को जारी DDMA के नोटिफिकेशन के मुताबिक कोविड महामारी में अभी धार्मिक स्थलों को बंद नहीं किया गया है, लिहाजा मरकज़ पर भी ये पाबंदी लागू नहीं हो सकती है। हालांकि कोर्ट ने फर्स्ट फ्लोर को छोड़ किसी और फ्लोर पर नमाज अदा करने की परमिशन देने से इनकार कर दिया। लेकिन कहा कि वक्फ बोर्ड इसके लिए निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के SHO के पास एप्लिकेशन दे सकता है।
बताते चले, निजामुद्दीन मरकज में पिछले साल मार्च में तब्लीगी जमात का आयोजन हुआ था। इस आयोजन में देश-विदेश से जुटे करीब 2000 लोगों में कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद मरकज से देशभर में कोरोना फैलने का मुद्दा उठा था और 31 मार्च को मरकज बंद कर दिया गया था। लेकिन अब कुंभ में लाखों लोगों की भीड़ जुटने पर सोशल मीडिया पर भी सवाल उठ रहे थे कि महामारी के बीच दो आयोजनों के लिए अलग-अलग नियम क्यों हैं?
निजामुद्दीन मरकज में नमाज पढ़ने की इजाजत और कुम्भ पर सवाल उठाये जाने को लेकर पत्रकार दीपक चौरसिया अपना गुस्सा जाहिर किया, उन्होंने इस फैसले पर निशाना साधते हुए लिखा, “दिल्ली उच्च न्यायालय के अदेशानुसार निज़ामुद्दीन मरकज़ मस्जिद में 50 लोग नमाज़ पढ़ सकते हैं। महाकुम्भ के स्नान पर छाती कूटने वाले वामपंथियों अब रोज़ाना जमात में पाँच दफे नमाज़ पढ़ने से कोरोना भाग जाएगा क्या? मतलब तेरी आस्था आस्था, मेरी आस्था ढोंग। दोगलापन कब जाएगा भाई????”
बता दें कि इस मामले में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में अर्जी लगाई थी। उसका कहना था कि कुंभ मेला और दूसरे आयोजन चल रहे हैं तो रमजान के दौरान मरकज को भी खोलने की इजाजत दी जाए। वक्फ बोर्ड की अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र ने मंगलवार को अपने जवाब में कहा था कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए निजामुद्दीन मरकज को खोलने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।