गाजियाबाद के डासना में कुछ दिनों पहले एक मुस्लिम लड़के को मंदिर में पानी पीने पर पीटने का मामला सामने आया था। इस पर मंदिर के महंत यति नरसिम्हानंद सरस्वती ने कहा था कि ‘मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर साफ लिखा है कि मुस्लिमों का मंदिर में आना मना है। वह मंदिर को अपवित्र करने के लिए आया था।’ इस मामले में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

गाजियाबाद के डासना मंदिर में हुये घटना और पोस्टर विवाद के बाद देहरादून के 150 से अधिक मंदिरों में एक बैनर लगाया गया है। इस बैनर में लिखा है कि मंदिर के परिसर में गैर हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित है। खबरों के मुताबिक ये बैनर हिंदू युवा वाहिनी की ओर से लगाए गए हैं। संगठन के सदस्यों का दावा है कि ऐसे बैनर पूरे उत्तराखंड के मंदिरों में लगाए जाएंगे। फिलहाल ये बैनर देहरादून के चकराता रोड, प्रेम नगर और सुद्दोवाला में देखने को मिले हैं।

बताते चलें, ये पोस्टर गाजियाबाद के मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती के समर्थन में लगाए गए लगते हैं। नरसिंहानंद ने गाजियाबाद के डासना के मंदिर में ऐसा ही पोस्टर लगाया है। इसी मंदिर में प्रवेश करने पर मुस्लिम लड़के की पिटाई की गई थी। मंदिर के पुजारियों का मानना है कि ये लड़के मंदिर में प्रवेश करके चोरी की घटना को अंजाम देते है।

TOI में छपी खबर के मुताबिक हिंदू युवा वाहिनी के राज्य महासचिव जीतू रंधावा ने कहा कि ये कदम यति नरसिम्हानंद सरस्वती के समर्थन में उठाया जा रहा है। दरअसल, डासना प्रकरण के बाद धौलाना से बसपा विधायक असलम चौधरी ने कहा था कि ये मंदिर उनके पुरखों की जमीन पर बना है और वो मंदिर जाएंगे, पानी पिएंगे और इस तरह के पोस्टरों को हटा देंगे।

रंधावा का कहना है कि असलम की धमकी के विरोध में हम ये पोस्टर उत्तराखंड के हर मंदिर में लगाएंगे। मंदिर उन लोगों के लिए है जो सनातन धर्म में भरोसा रखते हैं और वही लोग मंदिर में आ सकते हैं।