मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को राज्य की नई महिला नीति जारी की। कस्तुरबा गांधी की जयंती पर आयोजित राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन में में वर्चुअली भाग लेते हुए गहलोत ने कहा कि कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध भाव से काम कर रही है। महिलाओं को हर क्षेत्र में समान दर्जा दिलाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ महिला शिक्षा को बढ़ावा दे रही है। नई राज्य महिला नीति इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। नई महिला नीति से प्रदेश की करोड़ों महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने पर भी सरकार का फोकस है। सरकार के साथ-साथ समाज को भी इस दिशा में आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय संविधान संशोधन के माध्यम से महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित की। इससे महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया और आज वे आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से सशक्त हुई हैं।
गहलोत ने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए घूंघट प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करना जरूरी है। उन्होंने अपील की कि स्वयं सेवी संस्थाएं, सोशल एक्टिविस्ट एवं प्रबुद्धजन इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएं। गहलोत ने इस विषय पर अपने ट्विटर एकाउंट से एक ट्वीट भी किया। उन्होंने कहा- “महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण के लिए ये पांच पॉइंट्स आवश्यक हैं:
- घूंघट प्रथा दूर हो।
- छुआछूत खत्म हो।
- सैनेटरी नेपकिन्स के उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़े।
- महिला शिक्षा को बढ़ावा मिले, गांव-कस्बों तक महिला कॉलेज खुलें।
- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आए।”
गहलोत के इस ट्वीट के बाद एक ट्विटर यूजर ने लिखा, माननीय CM महोदय, घूंघट से इतनी महिलाएं पिछड़ी रह जाती है पर बुर्के में सशक्तिकरण कुछ ज्यादा ही होता है। यदि हिम्मत है और महिलाओं का सच्चा सशक्तिकरण चाहते हो तो घूंघट और बुरका दोनों ही हटाना चाहिए, ज्ञातव्य रहे कि घूंघट मान मर्यादा का प्रतीक है, न कि पिछड़ेपन का।
हेमा पंत नाम की एक महिला ट्विटर यूजर ने लिखा, बुर्का प्रथा, छोटी उम्र में लड़की की शादी, जनसंख्या नियंत्रण भी शामिल करिये. वैसे घूंघट किए महिला को परेशानी नहीं तो आपको क्या परेशानी है. जिसे घूंघट करना है करे तो आपका क्या गया वैसे भी घूंघट से उसकी पहचान नहीं छुपती और ना ही घूंघट में कोई आतंकवादी होता है।
एक यूजर ने लिखा, महोदय घूंघट प्रथा के साथ साथ बुर्का प्रथा भी खत्म होनी चाहिए। केवल घूंघट में से महिलाओं को निकाल कर आपको लगता है कि इससे सशक्तिकरण होगा तो फिर बुर्का हटाने पर क्यों नहीं लगता??
एक यूजर ने लिखा, ‘बुर्का प्रथा के बारे में जानकारी है कि नहीं,या मुस्लिम महिला का सशक्तिकरण के खिलाफ कोई षड्यन्त्र है मन में ?’