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डॉ. कफील खान ने CM योगी को लिखा पत्र- मरीजों की सेवा का मौका दें, बाद में फिर कर दीजिएगा निलंबित

कोरोना वायरस की दूसरी लहर से देश के साथ साथ उत्तरप्रदेश में भी रोजाना संक्रमित मरीजो की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस बीच गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज ऑक्‍सीजन कांड के बाद से सस्‍पेंड चल रहे डा.कफील खान ने कोरोना काल की दुहाई देते हुए CM योगी से अपना निलंबन वापस लेने की मांग की है। डा.कफील ने सीएम योगी को एक पत्र लिखकर कहा है कि उनका 15 वर्षों का आईसीयू का अनुभव इस समय यूपी में कोरोना को लेकर मची महामारी में मरीजों के काम आ सकता है।

डॉ. कफील खान ने पत्र में लिखा है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर पूरे भारत मे त्राहि मचा रही है। बाकि डॉक्टरों पर भी विभागीय कार्रवाई होने के बावजूद उनका निलंबन समाप्त कर सेवा बहाली कर दिया गया है। इसी आधार पर मेरा भी निलम्बन समाप्त होना चाहिए। इस महामारी में देश की सेवा करने का अवसर दें, चाहे महामारी के रोकथाम के बाद पुनः निलम्बित कर दें।

सीएम योगी को लिखे पत्र में उन्‍होंने कहा कि इसी मामले में निलंबित किए गए बीआरडी के पूर्व प्राचार्य प्रो.राजीव मिश्र और मेंटिनेंस इंचार्ज डा.सतीश कुमार का निलंबन पिछले साल चार मार्च को वापस हो चुका है। लेकिन सिर्फ उनकी बहाली नहीं की जा रही। 36 से भी अधिक पत्र लिखने के बावजूद अधिकारी द्वेषपूर्ण ढंग से उनका निलंबन वापस नहीं कर रहे हैं। जबकि विभिन्‍न जांच अधिकारियों की रिपोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में उन्‍हें चिकित्‍सकीय लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्‍त कर दिया गया है। उन्‍होंने लिखा कि उच्‍च न्‍यायालय ने सात मार्च 2019 और उच्‍चतम न्‍यायालय ने 10 मई 2019 को अपने आदेश में 90 दिनों के भीतर उनके निलंबन पर विचार करने को कहा था लेकिन 1300 से अधिक दिनों से वह निलंबित हैं।

डा.कफील ने कहा कि वह किसी अन्‍य हॉस्पिटल या व्‍यवसाय में काम नहीं कर रहे हैं। कोरोना महामारी के समय अपने देश के नागरिकों की सेवा करना चाहता हूं इसलिए मेरा निलंबन खत्‍म कर एक अवसर दें। चाहें तो महामारी की रोकथाम के बाद फिर से निलंबित कर दें।

गौरतलब हो, निलंबन के बाद पिछले साल दिसंबर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत डॉ. कफील खान हिरासत में ले लिया गया था। बाद में उन्हें हाई कोर्ट के आदेश पर रिहा किया गया था। हालांकि उनका निलंबन अब भी जारी है।