दलित बनाम सवर्ण हमारे समाज और भारतीय राजनीति का एक ऐसा मुद्दा जिसे हर राजनीतिक पार्टी अपने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल करने का काम करती है। सिर्फ नेता ही नही बल्कि आज आलम यह है कि न्यूज़ चैनल भी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसे मुद्दो को दिन रात टीवी पर प्रसारित करते है।

हाल के दिनों में आपने देखा कि किस तरह से हाथरस मामले में किस एक तरफा रिपोर्टिंग हुई और बिना जांच पड़ताल के मीडिया ने फैसला भी सुना दिया। विपक्षी पार्टीयो के नेता अपनी राजनीतिक जमीन वापस पाने के लिए दिन रात हाथरस में डेरा जमाए हुए दिखे। चाहे सच्चाई कुछ भी हो इनका मकसद सिर्फ अपना रोटी सेकना है।

अब जरा आप आशुतोष गुप्ता नाम के इस पत्रकार को देखिए इन्होंने तो हद्द ही कर दी। इन्होंने हमेशा दलित कार्ड खेलकर अपना भरण पोषण किया है। चाहे राजनीति हो या फिरि इनकी घिसी-पीटी पत्रकारिता। जनाब ट्वीटर पर बाकायदा पोस्ट करके पूछते है “टीवी में कितने दलित रिपोर्टर है?”

आशुतोष के इस ट्वीट पर कई गणमान्य व्यक्तियों नर जबाब दिया और इन्हें आड़े हांथो लिया। लेकिन आशुतोष को सबसे सटीक जबाब आजतक के पत्रकार रोहित सरदाना ने दिया। रोहित ने लिखा “सम्पादक रहते कितने लोगों से भर्ती के समय जाति प्रमाण पत्र माँगते थे आप?”

आशुतोष ने कई ट्वीट किए थे जातिवाद और दलित दलित लिखकर और लगभग सभी ट्वीट पर रोहित सरदाना ने जबाब दिया। देखिये वो सभी ट्वीट्स:-

एक और-

आशुतोष जी शायद अभी कुछ दिन शांत रहेंगे।