भोजपुरी एक बहुत ही मधुर भाषा है, लेकिन आज हालात ऐसे हो गये है कि भोजपुरी के नाम सुनकर सिर्फ अश्लीलता ही दिखाई देती है. मैं ऐसा इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि अगर आप यूट्यूब पर भोजपुरी गाना (Song) सर्च करेंगे तो भोजपिरी गानों के एक से बढ़कर एक अश्लील वीडियो मिल जाएंगे, जिन्हें देख ऐसा लगता है जैसे कंपीटिशन हो रहा हो कि कौन कितना अश्लील गा सकता है! एक समय था जब भोजपुरी के गाने आप पूरे परिवार के साथ सुन सकते थे.

भोजपुरी बिहार और उत्तरप्रदेश में बोली जाने वही मुख्य भाषा में से एक है. लगभग 5 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते है. भोजपिरी ने सारदा सिन्हा, भरत व्यास, मदन राय जैसे गायक भी दिए है. इनके अलावे भिखारी ठाकुर जईहे भोजपूरी का शेक्सपीयर भी कहा जाता है! लेकिन अब तो चोली, लहंगा उठाके, चाईना माधर चो.. यही सब कॉन्टेंट भरे पड़े है. रिया चक्रबर्ती को तो इन्होंने अपने गांव में रं**Di तक कह डाला. अब भोजपुरी गाना मतलब अपशब्द और डबल मीनिंग वर्ड ही रह गया है. आखिर ऐसा क्या है जिसकी वह से भोजपुरी गायक सिर्फ अश्लीलता ही परोस रहे है.

https://youtu.be/7OvNRiB8oPw

तो बात दु इसके पीछे है पैसा.. इन सड़कछाप गायको को कोई फर्क नही पड़ता कि इन गानों से समाज मे क्या मैसेज जाएगा ये इससे बच्चो और महिलाओ पर क्या असर पड़ेगा। इन्हे तो बस यूट्यूब पर अपने वीडियो के व्यूज बढ़ाने से मतलब है, जितना व्यूज उतना पैसा! ये सड़क छाप गायक अपने वीडियो में औरतों को गंदे अंदाज में पेस करते है और हमेशा डबल मीनिंग वर्ड का इस्तेमाल करते है.

आज इन्हे बढ़ावा इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि कोई इनके खिलाफ आवाज नही उठाता.. मैं ये नही बोल रहा कि आप इनके वीडियो को रिपोर्ट करिये बल्कि आप इन्हें कमेंट करके बताइये की ये क्या है, शर्म नही आती ऐसे गाने गाकर अलावा अलावा.. हम सबको मिलकर कोशिश करनी होगा। हम और आप इस भाषा को अपनी पहचान खोने से बचा सकते है.. धन्यवाद